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ये देह तेरी है नहीं





ये देह तेरी है नहीं फिर, 
गर्व किस का तू करे
रह जाय तेरी सारी दौलत,
जब यहां से तू चले
कर ध्यान उसका तू सदा, 
जो संग तेरे है सदा
सब छोड़ देते साथ पर वो, 
है नहीं तुझसे जुदा
है कौन तू आया कहां से, 
जाना कहां है अब तुझे
ये जान ले फिर कुछ नहीं,
 है बाकी अब पाना तुझे
कर्तव्य जो तुझको मिला, 
पालन तू उसका कर सदा
जिसके लिए हो कर रहे, 
उसमे ही नियंता है सदा
न कर्म बन्धन में बंधेगा,
 सहज जीवन हो तेरा
ले शरण  उसकी सदा, 
जो सहज में है बस तेरा
संसार तेरा घर नहीं है, 
मेहमान बन कर रह यहां
याद रख इसको नहीं तो, 
जायेगा फंस तू यहां
सुख मिले या दुःख मिले , 
दोनों  हैं तुझको झेलने
पर आत्म शक्ति मिलती तुझे, 
ले शरण दे तू देख ले
प्रारब्ध जो भी है तेरा,
तुझको ही होगा काटना
तब ध्यान करता ईश का, 
जब कष्ट से हो सामना 
सहज जीवन जी सदा , 
कर ध्यान परमानंद का
मात्र साधन है वही , 
जो है सहारा हर एक का


@अरुण पांडेय

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