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पतझड़

              



                           ***पतझड़***



पतझड़ मानो नीरस सा जीवन
वृक्ष हो या फिर मानव का जीवन
दोनों के ही जीवन में ही ये पल
का आना निश्चित है
वृक्ष न चाहे कभी  ठूंठ दिखे
न हम चाहे कभी दुःखी दिखें
पर पतझड़ आना तो निश्चित है
वृक्ष उन टूटे पत्तों का न शोक मनाएगा
है ज्ञात उसे कि ठूंठ हुआ तो क्या
नयी पत्तियों संग वो फिर से लहराएगा
मानव जीवन में भी सुख दुख 
का पतझड़ आना निश्चित है
यदि दुख का पतझड़ आया है तो क्या,
नहीं सदा वो  टिक पायेगा, 
बस धैर्य रखें  निश्चित ही
जीवन में सुख का पल भी आयेगा

अरुण पांडेय
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