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शक्ति की उपासना के दिन हैं नवरात्रि






शक्ति की उपासना और आराधना के दिन हैं  ये नवरात्रि। जीवन के किसी भी छेत्र में सफल होने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है। शक्ति का अर्थ  यहां   मानसिक , शारीरिक और  अध्यात्म  शक्ति से है।मातृ शक्ति को हमारे सनातन धर्म में सर्वोपरि माना गया है। शक्तिहीन लोगो की समाज में  गिनती न के बराबर होती है।


कमजोर मन के व्यक्ति में कोई सिद्धांत और आत्मज्ञान टिकता नहीं है। कोई भी आपका मित्र तब तक कोई विशेष मदद नहीं कर पाता जब तक की आप शक्ति हीन हो। अगर आपके पास शक्ति है अथवा आप दुर्बल नहीं हैं तो आपके शत्रु भी मित्र हो जायेंगे वहीं अगर आप अंदर से शक्तिहीन हैं तो आपके मित्र भी किनारा करेंगे।


देवी पुराण के अनुसार एक साल में चार बार नवरात्री मनाई जाती है। पहली चैत्र नवरात्रि साल के पहले माह में आती है तो दूसरी साल के चौथे माह आषाढ़ में आती है। बात अगर करें तीसरे और चौथे नवरात्र की तो वह अश्विन मास में तीसरी ग्यारहवें महीने में चौथी नवरात्रि का महोत्सव मनाया जाता है। इन चारों नवरात्रों में आश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है। जबकि दूसरी प्रमुख नवरात्रि चैत्र मास की होती है। इस प्रकार दो नवरात्रि गुप्त नवरात्रि मानी जाती हैं।


हमारे सनातन धर्म में सबसे अच्छी व्यवस्था यह है कि समय समय पर हमारे जीवन को विकसित, उल्लासित, और उन्नत करने के लिए पर्व त्योहारों की व्यवस्था है। उसी कड़ी में नवरात्रि के ये नौ दिवस भी हैं जिसमें मां भगवती के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। जैसा व्यक्ति होता है वैसी ही उसकी उपासना भी होती है। सभी अपने अपने तरीके उपासना करते हैं। लेकिन शक्ति की आवश्यकता तो सभी को होती है। किसी किसी की उपासना और सिद्धि ऐसी भी होती है ,जो सिद्धि को प्राप्त कर सिद्घ महापुरुष हो जाते हैं जैसे- महात्मा बुद्ध और श्री राम कृष्ण परमहंस आदि।

मां भगवती सभी को मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक शक्ति प्रदान करे।

इस प्रकार भगवती से प्रार्थना कर भगवती के शरणागत हो जाएं। 

देवी से प्रार्थना करें: -

शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे! 
सर्वस्यार्तिंहरे देवि! नारायणि! नमोऽस्तुते॥



श्री दुर्गा सप्तशती में बहुत ही कल्याणकारी मंत्र हैं
जिसका जाप कर आप अपने जीवन को सुखद बना सकते हैं।

सर्वकल्याण एवं शुभार्थ प्रभावशाली माना गया हैः -

सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके। 
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥

अपने कल्याण के लिए –
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । 
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥ 

बाधा मुक्ति और धन प्राप्ति के लिए सप्तशती का यह मंत्र जपे- 
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भव‍िष्यंति न संशय॥

आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के चमत्कारिक फल देने वाले मंत्र को 
स्वयं देवी दुर्गा ने देवताओं को दिया है-


 देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। 
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

विपत्ति नाश के लिए-
शरणागतर्द‍िनार्त परित्राण पारायणे। 
सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥

रक्षा के लिए-
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।

स्वर्ग और मुक्ति के लिए- 
सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य हदि संस्थिते।
स्वर्गापर्वदे देवि नारायणि नमोस्तु ते।।

विघ्ननाशक मंत्र-
सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरी।
एवमेव त्याया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्‌॥

आप इन पवित्र मन्त्रों का जाप कर सकते हैं, इसके लिए कोई खास नियम नहीं है बस जाप में शुद्धता का ध्यान रखें।

आप इन मन्त्रों का जप मां दुर्गा का नाम लेकर साल के किसी भी शुभ दिन अपना संकल्प मां दुर्गा के सामने रख कर शुरू कर सकते हैं। कम से कम १०८ मन्त्रों का जप बिना विघ्न के अवश्य करें।

                  

              नमो नमो हे अंबिके

              नमो नमो जगदंबिके

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