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शायरी







बेबसी थी इस कदर , तुमसे कह नहीं पाया
लूट गया था सब मेरा , तब मुझे है होश आया
कहना चाहा तुमसे जब जब, मैं कह नहीं पाया
तू दूर होगी इस कदर मुझसे, न मैं समझ पाया


अगर कभी नाराज़, तुम होना तो बता देना
बिन बताये न कभी ,तुम यूँही सजा देना
तुम्हारी दी हुई हर सज़ा, मुझे मंजूर होगी
बस सज़ा देने से पहले,मुझे एक बार अपने
गले से लगा लेना



ख्वाबों भरी दुनियाँ बड़ी, अच्छी लगती है
कुछ समय के लिए ,वो ही सच्ची लगती है
काश देखे हुए ख़्वाब यूँही सच हुआ करते
तो आसमां से तेरे लिये हम,चांद भी उतार लाते


@अरुण पांडेय
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