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सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध क्यों लगना चाहिए, जानिए



आज के समय में सिंगल- यूज प्लास्टिक के प्रयोग पर रोक थाम को लेकर भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में इस पर चर्चा की जा रही है। प्लास्टिक के प्रयोग से  जीव जंतुओं को ही नहीं बल्कि पूरे पर्यावरण  को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है।
इसके विषय में सभी को जागरुक होने की आश्यकता है।

आइये जान लें कि सिंगल- यूज प्लास्टिक है क्या ?

एक ऐसा प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल हम एक बार करते हैं और फिर उसे फेंक देते हैं अर्थात एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक डी जाने वाली प्लास्टिक को ही हम सिंगल - यूज प्लास्टिक अथवा डिस्पोजल प्लास्टिक भी  कहते हैं। 
इसका हम इस्तेमाल अपने दैनिक कार्यों में करते हैं,
जैसे - प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलों, कप, स्ट्रा, प्लेट्स, फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल में की जाने वाली प्लास्टिक, डिस्पोज़ल कप आदि । वैसे तो इसका रिसाइकलिंग भी किया जा सकता है।
प्लास्टिक के सामान का उपयोग करना हमारे स्वास्थ्य के लिए और हमारे पर्यावरण दोनों लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है ।
प्लास्टिक की बनी चीजो का भारत में जितना उपयोग होता है उतना शायद दुनिया में और कहीं नहीं होता.लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिन प्लास्टिक की बनी चीजों का आप उपयोग कर रहे है वह आपके लिए सही है या नहीं।

आइये जानते है प्लास्टिक के चीजों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में-




हम प्लास्टिक के कप और डिस्पोजेबल में गर्म चीजें लेकर खाना पीना शुरू कर देते हैं लेकिन ये नहीं सोचते कि  उन प्लास्टिक में रासायनिक सामान मिला हो सकता है जो हमारे शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है।
प्लास्टिक के डिस्पोजेबल में हम चाय कॉफ़ी लेकर पीते हैं उसमे उपरी भाग में एक परत मोम  का होता है जो गर्म चीजों के पड़ते ही पिघलने लगता है।
प्लास्टिक गर्मी और धूप में पिघलती है और उसके साथ जहरीली रासायनिक पदार्थ भी पिघलने लगता है जो खाने के साथ हमारे शरीर के अंदर जाकर केंसर को जन्म देता है।

प्लास्टिक से बने बच्चो के खिलौने उनमे जिन रंगों का उपयोग होता है वह भी बहुत ज्यादा खतरनाक होता है। प्लास्टिक के बने खिलौनों में रासायनिक रंगों का उपयोग किया जाता है. इन प्लास्टिक से बने खिलौनों में सीसा और आर्सेनिक का उपयोग होता है जो विषैले होते है. और इनसे बने खिलौनों को छोटे छोटे बच्चे मुंह में लेकर खेलते हैं. इन प्लास्टिक और उसमे इस्तेमाल होने वाले रंग से कैंसर होने की सम्भावना होती है।

प्लास्टिक की बोतल में पानी लेकर रखना और पीना आज कल का फैशन बन गया है. लेकिन इन बोतल में मिले हुए रसायन पानी में मिलकर पानी को नुक्शान्देह बना सकते है।
प्लास्टिक के समान के उपयोग से 90% कैंसर की संभावना होती है। यह वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित किया गया है।

शोधों से यह बात सामने आई है कि  प्लास्टिक के बने पात्र को हम जितना सुलभ और आसानी से इस्तेमाल में लाते हैं वह हर किसी के लिए हानिकारक है. प्लास्टिक से  सिर्फ इंसान को ही नहीं बल्कि पेड़, पौधे, जमीं, मिट्टी, जल, और वायु सबको नुकसान  हो रहा है लेकिन सब जानते हुए भी हम इनका इस्तेमाल रोकने की जगह बढा  रहे है।

जितना हो सके उतना प्लास्टिक के पात्र का उपयोग करना कम कर दें इसी में हम  सबकी भलाई है।
प्लास्टिक प्रदूषण को भूमि पर विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक सामग्री के संचय के रूप में परिभाषित किया जाता है, इसके अलावा यह हमारी नदियों, महासागरों, नहरों, झीलों आदि को भी प्रदूषित करता है।

प्लास्टिक पिछले कई शताब्दियों से ज्यादा उपयोग में लायी जा रही है। इसके निर्माण के दौरान, कई खतरनाक रसायन निकलते है, जिससे मनुष्य और साथ ही अन्य जानवरों में भी भयानक बीमारियाँ हो सकती हैं।

प्लास्टिक में मौजूद कुछ रासायनिक विषाक्त पदार्थ हैं जिन्हें  इसे समाप्त करना आसान नहीं है, और यह जीवित प्राणियों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है।

प्लास्टिक महंगा नहीं है, इसलिए  यह अधिक उपयोग किया जाता है। इसने हमारी भूमि कब्ज़ा कर लिया है, जब इसको समाप्त किया जाता है, तो यह आसानी से विघटित नहीं होता है, और इसलिए वह उस क्षेत्र के भूमि और मिट्टी को प्रदूषित करता है।

दुनियां भर में कई टन प्लास्टिक महासागरों और समुद्रों में फेंक दिए जाते हैं। मछली पकड़ने के जाल और अन्य सिंथेटिक सामग्री को जेलिफ़िश और स्थलीय और साथ ही जलीय जानवरों द्वारा भोजन समझकर, खा लिया जाता है, जिससे उनके शरीर के अंदर प्लास्टिक के जैव-संचय हो सकते हैं। इससे सांस मार्ग में अवरोध होता है, 
अंत में इस वजह से हर साल कई मछलियों और कछुओं की मौत हो जाती हैं

हमारे द्वारा फेंके गये गंदे कचरे में प्लास्टिक की थैली और बोतलों को कई आवारा जानवरों द्वारा खा लिया जाता है जिससे उनकी मृत्यु हो सकती है।
बरसात के मौसम में, सड़क पर पड़ा हुआ प्लास्टिक का कचरा जो कि पास के जलाशय और नहरों और नालियों में वह जाता है,इस कचरे को मछलियों द्वारा खा लिया लिया जाता है जिसके कारण मछलियों को श्वसन में परेशानी होने लगती है। इसके अलावा, इन सिंथेटिक सामग्री से पानी की गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है।

जब खुले में प्लास्टिक फेंक दिया जाता है, तो प्लास्टिक की सामग्री पानी के संपर्क में आती है और खतरनाक रसायनों का निर्माण करती है। यदि इन यौगिकों से भूजल का स्तर में कमी आती हैं, और जल की गुड़वत्ता कम हो जाती है।
समुद्री जल निकायों में प्लास्टिक प्रदूषण के कारण जलीय जानवरों की असंख्य मृत्यु हो रही है, और इससे यह जलीय पौधे भी काफी हद तक प्रभावित हो रहे  है।

समाधान और निवारक उपाय-

यद्यपि प्लास्टिक से बने सामान सुविधाजनक होते हैं, यह वह समय है जब हमें पृथ्वी पर प्लास्टिक की वजह से होने वाले नुकसान की जानकारी होनी चाहिए। इससे पहले कि हमारी पृथ्वी की तस्वीर और भी बदसूरत हो जाये, बेहतर होगा कि आप इस प्रकार के प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ प्रभावी निवारक उपाय अपनाये।

इसके उपयोग में गिरावट लाने के लिए, हमें शॉपिंग के लिए जितना संभव हो पेपर या कपड़े से बने बैग्स का उपयोग करना चाहिए, और घर पर प्लास्टिक बैग लाने से बचना चाहिए। प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या की गंभीरता को समझना चाहिए, और पानी में और भूमि पर फेंके गये डंपिंग प्लास्टिक के परिणाम के बारे में समझना चाहिये। प्लास्टिक के उचित निपटान सुनिश्चित करना।

जो प्लास्टिक का निपटान किया जाता है, वह पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है और उनका इस्तेमाल कई अलग-अलग तरीकों में जैसे बैग, पर्स, या पाउच को बनाने में किया जा सकता है। बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बैग उपलब्ध हैं, जो काफी हद तक मददगार साबित हुए हैं।

क्यों होने जा रहा है बैन

जलवायु परिवर्तन और ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण बिगड़ता पर्यावरण दुनिया के लिए इस समय सबसे बड़ी चिंता है। ऐसे में प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। कई लाख टन प्लास्टिक हर साल प्रोड्यूस हो रहा है, जो कि बायोडिग्रेडेबल नहीं है। इसे ऐसे समझें कि यह मिट्टी में नहीं घुलता-मिलता है। इसलिए दुनिया भर के देश सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के लिए कठोर रणनीति बना रहे हैं।


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