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Hindi shayari : काली अंधियारी हो, काली घटाएं छाई हो





काली अंधियारी हो, 
काली घटाएं छाई हो
रात का सूनापन हो,
 तेज हवाओं की सरसराहट हो
मन करता है खुदको 
इसके हवाले कर दूं
जिधर ले जाए उधर चल दूं।
फिर मन को समझाता हूं, 
उसको बतलाता हूं
जरा धीरज से काम ले, 
मेरा कहा मान ले 
तू इसको गुजर जाने दे, 
सुबह हो जाने दे
नयी सुबह आयेगी, 
बीती बित जाने दे।।

@अरुण पांडेय

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