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तेरा दीवाना बन के


      





तेरा दीवाना बन के मैं 

फिरता जमाने में

तू मेरी हकीकत है

क्या रक्खा फ़सानेे में

जब भी दिल तेरा चाहे

मुझे आवाज़ देना तुम

संग पाओगी अपने तुम 

जब भी याद कर लो तुम

अभी आगाज़ है अपनी 

ताज़ा ताज़ा मोहब्बत का

अभी निंदे भी कम होगी

होगा आलम बेचैनी का

 तेरा दीवाना बन के मैं 

फिरता जमाने में

तू मेरी हकीकत है

क्या रक्खा फ़सानेे में

********************
                                 
@अरुण पांडेय



            

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