यह पौधा मूल रूप से लद्दाख के ठंडे और ऊंचाई वाले इलाकों में पाया जाता है। काफी समय तक स्थानीय लोग इसके व्यापक औषधीय गुणों से अज्ञात थे। यह पौधा अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाकों में सांस लेने में परेशानी होने की समस्या से उबरने में बेहद कारगर होता है। आयुर्वेद के जानकारों का दावा है कि इस पौधे की मदद से शरीर को पर्वतीय परिस्थितियों के अनुरूप ढालने में भी मदद मिलती है। कम ऑक्सीजन के ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात भारतीय सेना के जवान भी इसका इस्तेमाल अपनी शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए करते हैं।
स्थानीय लोगों की पसंदीदा सब्जी
'सोलो' का वैज्ञानिक नाम रहोडियोला (Rhodiola) है। हालांकि, लद्दाख के लोग इसे 'सोलो' के नाम से ही जानते हैं। हिमालय की ऊंची चोटियों पर जिंदगी किसी चुनौती से कम नहीं है। स्थानीय लोगों को इन इलाकों में जीवन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। स्थानीय लोग इस पौधे के पत्तेदार हिस्सों का इस्तेमाल सब्जी के रूप में करते आए हैं। अब लेह स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यड रिसर्च (Defence Institute of High Altitude Research, DIHAR) इस पौधे के औषधीय गुणों का विस्तार से अध्ययन कर रहा है।
रेडियोएक्टिव प्रभाव से बचाने में कारगर
लेह स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यड रिसर्च (Defence Institute of High Altitude Research, DIHAR) के वैज्ञानिकों का दावा है कि यह औषधि सियाचिन जैसी प्रतिकूल जगहों पर रह रहे भारतीय सेना के जवानों के लिए चमत्कारिक साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पौधा कम ऑक्सीजन वाले, ऊंचे इलाकों में रोगप्रतिरोधक प्रणाली को बेहतर रखने और रेडियोएक्टिव प्रभाव से बचाने में कारगर है। यही नहीं यह औषधि अवसाद को कम करने और भूख बढ़ाने में भी लाभकारी है। सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में जवानों में डिप्रेशन और भूख गने की समस्या के इलाज में यह फायदेमंद है।
लेह स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यड रिसर्च (Defence Institute of High Altitude Research, DIHAR) के वैज्ञानिकों का दावा है कि यह औषधि सियाचिन जैसी प्रतिकूल जगहों पर रह रहे भारतीय सेना के जवानों के लिए चमत्कारिक साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पौधा कम ऑक्सीजन वाले, ऊंचे इलाकों में रोगप्रतिरोधक प्रणाली को बेहतर रखने और रेडियोएक्टिव प्रभाव से बचाने में कारगर है। यही नहीं यह औषधि अवसाद को कम करने और भूख बढ़ाने में भी लाभकारी है। सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में जवानों में डिप्रेशन और भूख गने की समस्या के इलाज में यह फायदेमंद है।
प्राचीन काल से ही हिमालय पर संजीवनी बूटी होने को लेकर चर्चाएं होती रही हैं। संजीवनी बूटी की चर्चा रामचरित मानस में भी हुई है। रामायण में मेघनाद के बाण से मूर्छित लक्ष्मण की जान बचाने के लिए हिमालय की कंदराओं से हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आए थे। आखिरकार संजीवनी बूटी की मदद से लक्षमण को बचा लिया गया था। वैज्ञानिक, सोलो नाम के पौधे के गुणों से इस कदर उत्साहित हैं कि लगता है कि जैसे 'संजीवनी' की तलाश अब खत्म हो गई है। यह पौधा बढ़ती उम्र को रोकने में सहायक है। साथ ही ऑक्सीजन की कमी के दौरान न्यूरॉन्स की रक्षा भी करता है।
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